केन्द्रीय विद्यालय
केन्द्रीय विद्यालय भारत में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा का प्रबंध है, जो मुख्यतः भारत की केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के लिए बनाया गया है। इस की शुरुआत 1963 में हुई तथा यह तब से भारत के केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अनुबन्धित है। इस समय भारत में केन्द्रीय विद्यालयों की संख्या (1,249+3)[2] है। इस के अतिरिक्त विदेश में तीन केन्द्रीय विद्यालय ( मॉस्को,तेहरान और काठमांडू) हैं जिनमें भारतीय दूतावासों के कर्मचारियों तथा अन्य प्रवासी भारतीयों के बच्चे पढ़ते हैं। विद्यालयों में भारत के राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पाठ्यक्रम का अनुसरण होता है। सभी केन्द्रीय विद्यालयों का संचालन केन्द्रीय विद्यालय संगठन नाम की संस्था करती है। इसका चेयरमैन केंद्रीय शिक्षा मंत्री होता है। वर्तमान में कमिश्नर निधि पांडेय जी हैं। केन्द्रीय विद्यालय का मिशनकेन्द्रीय विद्यालयों के प्रमुख चार मिशन इस प्रकार है[3]- 1. केन्द्रीय सरकार के स्थानांतरणीय कर्मचारियों जिनमें रक्षा-Army like BSF, CRPF,etc तथा अर्धसैनिक बलों के कर्मी भी शामिल हैं , के बच्चों को शिक्षा के सामान्य कार्यक्रम के तहत शिक्षा प्रदान कर उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना। 2. .विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठता और गति निर्धारित करना। 3. केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.सी.) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एन.सी.ई.आर.टी.) इत्यादि जैसे अन्य निकायों के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग तथा नवाचार को सम्मिलित करना। 4. बच्चों में राष्ट्रीय एकता और ’भारतीयता’ की भावना का विकास करना। विद्यालय प्रार्थनाअसतो मा सद्गमय दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना ॐ सहनाववतु विदेशों में केन्द्रीय विद्यालयभारत के बाहर केन्द्रीय विद्यालय काठमांडू, मास्को व तेहरान में स्थित हैं। सन्दर्भ
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